अभी बिहार-झारखंड में महज 9 लाख लोग टैक्स देते हैं।जबकि आबादी 15 करोड़ से अधिक है।नोटबंदी और आयकर की बढ़ती दबिश के कारण हालात बदले हैं। दोनों राज्यों में वित्तीय वर्ष 2016-17 में आयकर देने वालों की संख्या में 45 हजार की बढ़ोतरी होगी।ऐसे में ये आंकड़ा 45 हजार को पार कर सकता है मतलब आयकरदाताओं की संख्या में करीब 5 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।
प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त एसटी अहमद (बिहार-झारखंड) के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में अगले मार्च तक 10852 करोड़ आयकर वसूली का लक्ष्य है। पिछले वित्तीय वर्ष में 9,122 करोड़ रुपए का लक्ष्य था।
आज बिहार झारखंड में लगभग प्रत्येक दिन किसी जिले में आयकर का सर्वे, छापेमारी या वेरिफिकेशन हो रहा है। 8 नवंबर की आधी रात से लागू नोटबंदी के बाद 22 दिसंबर तक 44 दिनों में 41 सर्वे के अलावा 16 छापेमारी 45 सामान्य वेरिफिकेशन किए गए।इन परिस्थितियों के बीच 9 जनवरी, 2017 तक 6,991 करोड़ आयकर की वसूली हो चुकी है। चालू वित्तीय वर्ष में 10 हजार 852 करोड़ की आयकर वसूली का लक्ष्य है।आयकर देने वालों की संख्या भले ही कम हो। पर आयकर के ग्रोथ रेट के मामले में इस वित्तीय वर्ष में बिहार-झारखंड ने दिल्ली और मुंबई को भी पीछे छोड़ दिया है। फिलहाल आयकर ग्रोथ का राष्ट्रीय औसत 13.5 प्रतिशतहै।जबकि बिहार-झारखंड में 15 प्रतिशत है।