बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्राइवेट स्कूल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जिस स्कूल का बस से लेकर क्लास रूम तक एसी हो वहां के बच्चे IAS- IPS कैसे बन सकते हैं. नीतीश कुमार ने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान एजुकेशन सिस्टम के नये बदलाव को जम कर लताड़ा. इस दौरान सीएम ने यहां तक कह डाला कि एसी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कभी आईएएस और आईपीएस बन सकते हैं क्या ?
सीएम ने कहा कि तथाकथित पब्लिक स्कूल असल मायने में प्राइवेट स्कूल हैं क्योंकि उनका लोगों से कोई सरोकार नहीं है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जिनकी गाड़ी से लेकर क्लास रूम तक एसी रहते हैं वो आईएएस और आईपीएस कैसे बन सकते हैं.

नीतीश ने आईएएस-आईपीएएस अधिकारियों का काम सबसे कठिन बताते हुए कहा कि इन अधिकारियों का काम सबसे टफ रहता है क्योंकि उन्हें बाढ़, आग से लेकर किसी भी तरह की समस्या में सड़कों पर खड़ा होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल को पब्लिक स्कूल कह कर पढ़ाने वाले संस्थानों से आने वाले दिनों में कोई ढ़ंग का अधिकारी या राजनेता निकल सकता है ये सोचना भी मुश्किल सा दिख रहा है.
नीतीश ने कहा कि ज्यादातर आईएएस-आईपीएस सरकारी स्कूलों में ही पढ़ कर बने हैं. हम सब सरकारी स्कूलों में पढ़े हैं. जिलों में समीक्षा में पाया गया कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से अधिक नहीं है. उन्होंने शिक्षा मंत्री और विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया छात्रों को छात्रवृत्ति आदि योजना लाभ के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्यता बढ़ा कर 80 या 85 प्रतिशत तक ले जाएं. इससे कक्षा में उपस्थिति बढ़ेगी। मंगलवार को वे संवाद में 9 प्रमंडल मुख्यालयों में पांच तल्ला परीक्षा भवनों का शिलान्यास और परीक्षा सुधारों की सुधारों की शुरूआत कर रहे थे.
सीएम ने लोगों से पूछा- क्यों अपने बच्चों को पास कराने के लिए चोरी कराते हैं? लालची के गांव में ठग कभी भूखा नहीं रहता. गलत तरीके से परीक्षा पास कराने की प्रवृत्ति को दूर करने क लिए समाज में सुधार की जरूरत है. वैशाली के स्कूल भवन की खिड़कियों से परीक्षा में चोरी कराने घटना बिहार के लिए शर्मिदगी वाला था. पिछले साल परीक्षा ठीक हुई तो टापर्स घोटाला को अंजाम देते वाले नमूनों से बिहार की बदनामी हुई. अब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने परीक्षा सुधार की बेहतर शुरूआत की है. उन्होंने सभी प्रमंडलों में पांच तल्ला परीक्षा भवन बनाने के लिए कहा. पहले सहरसा व मुंगेर सहित चार प्रमंडलों में चार तल्ला परीक्षा भवन ही बनाना जाना था.
मुख्यमंत्री ने कहा ककि टापर्स घोटाला मामले में दोषियों पर सीधे मुकदमा किया गया. परीक्षा रिजल्ट में गड़बड़ी बिहार के लिए काला धब्बा था. लेकिन कोई गड़बड़ी कर बच नहीं सकता है. दोषियों को जेल भेजा गया. अब ऑनलाइन मार्क सीट मिलने ओएमआर सीट और डिजिटल मार्किंग होने से गड़बड़ी पर रोक लगेगी.